Desh Bhakti ke Geet Vedio

==&autoplay=" name="Desh Bhakti ke Geet" />==&autoplay=">
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है। किन्तु प्रकृति के संसाधनों व उत्कृष्ट मानवीयशक्ति से युक्त इस राष्ट्रको काल का ग्रहण लग चुका है। जिस दिन यह ग्रहणमुक्त हो जायेगा, पुनः विश्वगुरु होगा। राष्ट्रोत्थानका यह मन्त्र पूर्ण हो। आइये, युगकी इस चुनोतीको भारतमाँ की संतान के नाते स्वीकार कर हम सभी इसमें अपना योगदान दें। निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

what's App no 9971065525


DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची

https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं

स्वपरिचय: जन्म से ही परिजनों से सीखा 'अथक संघर्ष' तीसरी पीडी भी उसी राह पर!

स्व आंकलन:

: : : सभी कानूनी विवादों के लिये क्षेत्राधिकार Delhi होगा। स्व आंकलन: हमारे पिटारे के अस्त्र -शस्त्र हमारे जो 5 समुदाय हैं, वे अपना परिचय स्वयं हैं (1) शर्मनिरपेक्षता का उपचार (2) देश का चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो-संपादक युगदर्पण, (3) लेखक पत्रकार राष्ट्रीय मंच, (राष्ट्र व्यापी, राष्ट्र समर्पित)- संपादक युगदर्पण, (4) युग दर्पण मित्र मंडल, (5) Muslim Rashtriya Ekatmta Manch (MREM) आप किसी भी विषय पर लिखते, रूचि रखते हों, युग दर्पण का हर विषय पर विशेष ब्लाग है राष्ट्र दर्पण, समाज दर्पण, शिक्षा दर्पण, विश्व दर्पण, अंतरिक्ष दर्पण, युवा दर्पण,... महिला घर परिवार, पर्यावरण, पर्यटन धरोहर, ज्ञान विज्ञानं, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, कार्य क्षेत्र, प्रतिभा प्रबंधन, साहित्य, अभिरुचि, स्वस्थ मनोरंजन, समाचार हो या परिचर्चा, समूह में सभी समाविष्ट हैं ! इतना ही नहीं आर्कुट व ट्विटर के अतिरिक्त, हमारे 4 चेनल भी हैं उनमें भी सभी विषय समाविष्ट हैं ! सभी विषयों पर सारगर्भित, सोम्य, सुघड़ व सुस्पष्ट जानकारी सुरुचिपूर्ण ढंगसे सुलभ करते हुए, समाज की चेतना, उर्जा, शक्तिओं व क्षमताओं का विकास करते हुए, राष्ट्र भक्ति व राष्ट्र शक्ति का निर्माण तभी होगा, जब भांड मीडिया का सार्थक विकल्प "युग दर्पण समूह" सशक्त होगा ! उपरोक्त को मानने वाला राष्ट्रभक्त ही इस मंच से जुड़ सकता है.: :

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
विखंडन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विखंडन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता 
समान नागरिक संहिता भले ही आज समय की मांग है, एक सूत्र में पिरोने की। 
किन्तु इसमें समस्या यह है कि विगत में स्वतंत्रता के आरम्भ से ही समाज को 
एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करने के स्थान पर बहुलता वादी समाज के नाम पर 
संविधान को खिलोने की भाँति प्रस्तुत कर खिलवाड़ करने का चलन चला गया। 
इसी कारण भारत जैसे बहुलता वादी देश में समान नागरिक संहिता लागू करना 
सरल भी नहीं है। 
कई नस्लीय जनजातियां, विभिन्न संप्रदाय, जातियां और समुदाय हैं। हिंदुओं के 
अंदर भी कई भांति भांति की स्थानीय प्रकार की पारिस्थितिक प्रथाएं चालू हैं। इन 
सब के बाद भी संविधान निर्माताओं ने हिंदुओं पर समान कानून बनाए। विभिन्न 
प्रथाओं के बाद भी मूल रूप से पूरा समाज ऐसे जुड़ा है जैसे शरीर के भिन्न भिन्न 
अंग प्रत्यंग एक ही शरीर के विभिन्न भाग हैं। 
समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव पर जन सुनवाई और सर्वदलीय बैठक में 
राजनैतिक दलों का समर्थन ही आगे जाकर आम सहमति दिला सकेगा। इस मुद्दे पर 
आगे का एकमात्र मार्ग सर्वसम्मति से ही स्थापित होना है। समझदारी है कि पहले 
विधि आयोग इस पर भी ध्यान कर जन सुनवाई में सभी समूहों से चर्चा करे ताकि 
विधि आयोग को साझा प्रस्ताव के साथ सामने आने को मिले। 
यह पग इस दृष्टी से महत्त्व का है कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि वह 
मौखिक तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता पर किसी निर्णय से पूर्व व्यापक चर्चा 
पसंद करेगा। कई लोगों का मानना है कि मुसलमान अपनी पत्नियों को मनमाने 
ढंग से तलाक देने के लिए तिहरे तलाक का दुरूपयोग करते हैं। तब इन चीजों 
में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी जानी चाहिए। 
बात केवल तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता की ही नहीं है जैसे अपितु विविधता 
भरे हिन्दू समाज होने पर भी कानून को हिंदुओं पर समान रूप से लागु किया गया, 
इस पर भी वह विविधता समाप्त नहीं हो गई, अनेकता में एकता का गौरवपूर्ण पक्ष 
हमारे लिए सदा के लिए प्रत्यक्ष उदहारण बनकर खड़ा है। 
समान नागरिक संहिता का यही नियम मुस्लिम तथा अन्यों को भी उसी प्रकार एक 
सूत्र में पूरे समाज को जोड़ कर रख सकता था। किन्तु विविधता बनाए रखने के नाम 
पर जिस प्रकार हिन्दू कानून मुस्लिम कानून बनाए गए.उसने एकता के बदले अलगाव 
का भाव ही बनाया और राजनैतिक तुष्टिकरण का मार्ग खोलकर सामाजिक विखंडन 
का मार्ग प्रशस्त किया। आज यह समस्या जटिल रोग होकर असाध्य लगता है। 
समय पर उपचार किया जाता तो उचित था किन्तु विलम्ब से सही, शुभस्य् शीघ्रम। 
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है |
 आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
http://samaajdarpan.blogspot.in/2016/07/blog-post_15.html