Desh Bhakti ke Geet Vedio

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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है। किन्तु प्रकृति के संसाधनों व उत्कृष्ट मानवीयशक्ति से युक्त इस राष्ट्रको काल का ग्रहण लग चुका है। जिस दिन यह ग्रहणमुक्त हो जायेगा, पुनः विश्वगुरु होगा। राष्ट्रोत्थानका यह मन्त्र पूर्ण हो। आइये, युगकी इस चुनोतीको भारतमाँ की संतान के नाते स्वीकार कर हम सभी इसमें अपना योगदान दें। निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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स्व आंकलन:

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शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

कांग्रेसनीत संप्रग शासन में आम आदमी दाने-दाने को मोहताज : नितिन गडकरी

  
महंगाई के विरोध में ऐतिहासिक रैली

संसद से सड़क तक संघर्ष जारी रहेगा
गत 21 अप्रैल, 2010 को यूपीए सरकार की गलत नीतियों से बेलगाम हुई महंगाई के विरोध में भाजपा के आह्वान पर देश के कोने-कोने से आए लाखों लोगों ने संसद पर दस्तक दिया और कांग्रेसनीत केन्द्र सरकार को चेतावनी दी कि ‘महंगाई रोक दो-वरना गद्दी छोड़ दो’।
     महंगाई से आम आदमी किस कदर परेशान हैं इसकी बानगी रामलीला मैदान में स्वत: ही दृष्यमान हो रही थी। वर्षों बाद लोगों का सैलाब इस कदर उमड़ा कि यह मैदान छोटा पड़ गया। जितने लोग रामलीला मैदान में थे उतने ही लोग दिल्ली की सड़कों पर। भारत की राजधानी महंगाई विरोधी नारों से दिन भर गूंजती रही। महंगाई के विरोध में रामलीला मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ। इसके पश्‍चात् लाखों प्रदर्शनकारियों ने एक हाथ में भाजपा का झंडा तो दूसरे हाथ में तख्ती लिए संसद की ओर मार्च किया। तख्तियों पर- ‘सोनिया-मनमोहन की जोड़ी, आम आदमी की कमर तोड़ी’, ‘सोनिया का देखो खेल, महंगी चीनी महंगा तेल’, ‘कांग्रेस का हाथ, जमाखोरों के साथ’, ‘जबसे कांग्रेस आई है, कमरतोड़ महंगाई है’, ‘घेरो संसद बांधो दाम, महंगाई पर कसो लगाम’, आदि महंगाई विरोधी नारे लिखे हुए थे।
     जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी ने संप्रग सरकार को गांव, गरीब और मजदूर विरोधी सरकार करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘गरीबी हटाओ’ के नाम पर कांग्रेस सरकार गरीबों को हटाने पर तुली हुई है। इस सरकार के शासन में भ्रष्‍टाचार चरम पर है। दाल, चावल और चीनी का घोटाला हुआ। गोदामों में अनाज सड़ रहा है। आम आदमी दाने-दाने को मोहताज है। किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हो रहे हैं। इस सरकार ने गरीब आदमी के पेट पर लात मारी है, हमें इसके खिलाफ लड़ना है।
     उन्होंने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए केन्द्र सरकार गंभीर नहीं है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम Double digit growth rate की तरफ जा रहे हैं। कमलनाथ कहते हैं कि गरीब लोग ज्यादा खाते हैं। चिदम्बरम ने कहा कि हमने कुत्तों के खाने वाली बिस्किट पर टैक्स माफ कर दिया है। प्रणब कहते हैं कि चिंता की कोई बात नहीं। शरद पवार का कहना है कि चीनी, गेहूं, चावल की कीमतें अमेरिका और इंग्लैंड की तुलना में भारत में सस्ती है। सोनिया गांधी कहती हैं कि खाद्य पदार्थों की महंगाई के बारे में कांग्रेस सरकार को पत्र लिखेगी। श्री गडकरी ने कहा कि यूपीए सरकार ने दावा किया था कि 100 दिनों के अंदर महंगाई कम हो जाएगी। लेकिन अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कांग्रेस शासन में महंगाई बढ़ती ही जा रही है। सरकार की नीयत में खोट है। देश में बढ़ रही महंगाई के लिए यूपीए की गलत आर्थिक नीति और कुशासन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हमने हाल में महंगाई को लेकर चार्जशीट जारी की और प्रधानमंत्रीजी से 14 सवाल पूछे लेकिन वो जवाब नहीं दे पाए। मैं विश्वास से कह सकता हूं कांग्रेस का कोई माई का लाल इन सवालों का जवाब नहीं दे सकता। यदि उनमें हिम्मत है तो वे हमसे मीडिया में खुली बहस करे।
     उन्होंने आंकडों का हवाला देकर संप्रग सरकार की पोल खोलते हुए कहा कि विश्व में चीनी 28 रूपए किलो है जबकि भारत में 38 रूपए किलो, ऐसा क्यों?48 लाख टन चीनी का निर्यात 12.50 रूपए से किया गया और उसे 22 रूपए की दर से आयात किया गया। अभी भी देश में 42 करोड़ लोगों से भी ज्यादा गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। मेरे पास 25 देषों की महंगाई के आंकड़े हैं। इन देशों में मुद्रास्फीति की दर दो प्रतिशत है जबकि भारत में यह 11 प्रतिशत है।
     श्री गडकरी ने उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि करोडों रूपए पुतले के लिए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन किसानों के हितों की रक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
     उन्होंने कहा कि देशवासियों को अब अटलजी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की याद आने लगी है। उन दिनों लोग मेहमानों का सत्कार करने में जुट जाते थे तो वहीं आज कांग्रेस शासन में लोग कहते हैं कि आया मेहमान कब जाए कि हम खाना खाएं।
     श्री गडकरी ने कहा कि महंगाई के विरूध्द संघर्ष में आज जितने लोग यहां आए हैं उससे 10 गुना लोग दिल्ली की सड़कों पर खड़े हैं। महंगाई के प्रति जनता में बेहद आक्रोश व्याप्त है, आज की रैली ने यह सिध्द कर दिया है।


     भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा के राश्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी को बधाई देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में दिल्ली मे आयोजित यह पहली रैली असाधारण है। इसने पूर्व की सभी रैलियों को मात दे दी है।
     उन्होंने कहा कि महंगाई को लेकर यह सरकार पूरी तरह विफल हुई है। महंगाई जिस प्रकार से बढ़ी है उससे आम आदमी तो त्रस्त हैं ही मध्यम श्रेणी के लोग भी परेशान हैं। गत 6 सालों से खाद्य पदार्थों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। 100 प्रतिशत, 200 प्रतिशत और 250 प्रतिशत तक बढ़ी।
उन्होंने कहा कि कांग्रस शासन में महंगाई बढ़ने के दो प्रमुख कारण हैं, पहला- कुप्रबंधन और दूसरा- घोटालों के रूप में भ्रष्टाचार। वहीं भाजपा शासित राज्यों- मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, कर्नाटक प्रगति कर रहे हैं।
     उन्होंने कहा कि महंगाई के विरोध में इस संघर्ष में इतनी बड़ी संख्या में लोग आए हैं। यूपीए सरकार समझ ले कि यह संकट की चेतावनी है।
     लोकसभा में विपक्ष की नेता श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि देश में बढ रही महंगाई को लेकर यूपीए सरकार ने तीन प्रमुख कारण गिनाए हैं। पहला, प्राकृतिक आपदा, दूसरा, किसानों को अधिक समर्थन मूल्य देना और तीसरा, आर्थिक मंदी। यह गलत है। वास्तव में सरकार की गलत नीतियों के कारण महंगाई बढ़ रही है।
     उन्होंने कहा कि संप्रग शासन में दाल, चीनी और चावल के आयात-निर्यात में घोटाला हुआ। इसी महाघोटालों के विरोध में यह संघर्ष हैं। आज देश की जनता बेखबर सरकार को चेताने आई हैं। जनता के इस संघर्ष में भाजपा आग्रणी भूमिका निभाएगी।
     उन्होंने रैली में उपस्थित विशाल जनसमूह से ‘महंगाई रोक दो-वरना गद्दी छोड़ दो’ का सामूहिक नारा उद्धोष कराया और कहा कि यह संघर्ष जो छिड़ा है आज केवल आगाज है। सरकार चेत जाए और जनता का दुख-दर्द दूर करे। यदि सरकार ने महंगाई खत्म नहीं की तो गद्दी छोड़वाकर रहेंगे।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री अरुण जेटली ने कहा कि जब भाजपा ने महंगाई के विरोध में 21 अप्रैल को विशाल रैली करने की घोषणा की, तो उस वक्त कई लोगों ने आषंकाएं व्यक्त की थी, लेकिन आज सबको यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा संसद में भी जरूरी मुद्दों पर आवाज बुलंद करती है और सड़कों पर भी प्रबल संघर्श करती है।
      श्री जेटली ने यूपीए सरकार को हर मोर्चे पर विफल करार देते हुए कहा कि यह सरकार आतंकवाद से लड़ने में नाकामयाब रही। माओवाद से लड़ने में अक्षम साबित हुई और महंगाई को कम करने के मोर्चे पर तो सरकार पूरी तरह से विफल हो गई।
     उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी से बाहर निकलने के बाद कीमतें कम हो जाती हैं लेकिन हिन्दुस्तान में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई। देश में रिकार्ड पैदावार हुई। सरकारी गोदामों में अनाज सड़ रहा है। किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहा है। बजट में डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ा दीं। वहीं चीनी पर एक्साइज डयूटी बढ़ा देना, यह सरकार की गलत नीतियां हैं। यदि ऐसे ही हालात रहे तो अगले 6 महीने में कीमतें और बढ़ेंगी।
      पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि महंगाई के विरूध्द यह महाकुंभ है। यह संघर्ष केवल रैली आयोजन तक नहीं, केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के विरूद्ध संघर्ष जारी रहेगा।
     डॉ. जोशी ने कहा कि महंगाई कांग्रेस के चरित्र में है। इंदिरा गांधी के समय में भी महंगाई बेलगाम रही जबकि जनता पार्टी और भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के समय महंगाई नियंत्रित रही।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार आम आदमी के नाम पर सत्ता में आकर धनी लोगों के लिए काम करती है। यूपीए के मंत्रियों के पास महंगाई की तरफ ध्यान देने की फुर्सत नहीं है, उसके कृषि मंत्री व विदेश मंत्री क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
      उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि उसने जनता को आश्वासन देने के अलावा क्या दिया है। सट्टाबाजार व जमाखोरों के कारण महंगाई बढ़ रही है। गरीबों की जेब काटकर सट्टाबाजार बढ़ रहा है।
     उन्होंने कहा कि जनता में सरकार की गलत नीतियों के प्रति आक्रोश है। यह अंगड़ाई मात्र है। आगे बड़ी लड़ाई है। इसके साथ ही उन्होंने यूपीए सरकार को चेताते हुए कहा कि जो सरकार देश के आम आदमी को बुनियादी सुविधाओं न उपलब्ध करा सके उसे एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
     भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज संसद पर देश के कोने-कोने से लाखों लोग दस्तक देने आए हैं और वे आवाज बुलंद कर रहे हैं कि या तो महंगाई कम करो या गद्दी छोड़ दो।
     श्री सिंह ने कहा कि जब-जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार आई, तब-तब महंगाई बेतहाशा बढ़ी जबकि एनडीए शासन के दौरान महंगाई बंधी रही। गत 6 वर्षों से महंगाई बेलगाम है। क्या कारण है कांग्रेस के हुकूमत में महंगाई बढ़ने लगती है। सच तो यह है कि कांग्रेस सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण महंगाई बढ़ रही है।
      उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि यूपीए को सर्वाधिक चिंता आइपीएल की रहती है लेकिन वह देश की बुनियादी समस्याओं के बारे में चुप्पी साधे रहती है। गांव की गरीबी निरंतर बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होते जा रहे हैं वहीं अमीर और अमीर होते जा रहे हैं। 42 करोड़ गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह करने पर अभिशप्त हैं। लाखों टन गेहूं सरकार के गोदामों में सड़ रहा है। उचित कीमत पर न खाद्य मिल रहा है और न ही पानी, बिजली मिल पा रही है। लेकिन कांग्रेस सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगती। उन्होंने कहा कि किसानों की माली हालात सुधारे बिना समृध्द भारत का सपना साकार नहीं हो पाएगा। किसानों की क्रयक्षमता बढ़ानी होगी।
     उन्होंने कहा कि सारे हिन्दुस्तान में हाहाकार मचा है। महंगाई से लड़ने की कूव्वत सिर्फ भाजपा में है। दिल्ली में दी गई यह दस्तक गांव-गांव तक पहुंचनी चाहिए।
      इस रैली में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वेंकैया नायडू, राष्ट्रीय महामंत्री श्री अनंत कुमार, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रीगण सर्वश्री शिवराज सिंह चौहान (मध्यप्रदेश), प्रो. प्रेमकुमार धूमल (हिमाचल प्रदेश), श्री सुशील कुमार मोदी, (उपमुख्यमंत्री, बिहार) ने भी जनसभा को संबोधित किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी उपस्थित थे। सभा का संचालन राष्‍ट्रीय महासचिव श्री विजय गोयल ने किया।
        April 22nd, 2010 | Category: राजनीति | Print This Post Print This Post | Email This Post Email This Post | 286 views
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मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

नानाजी देशमुख – व्यक्तित्व और कृतित्व – विनोद बंसल

 

प्रकाश  पुंज सा आदर्श जीवन, जीते जी समाज  की निष्काम सेवा और अंत में पार्थिव शरीर के अंग भी  समाज को अर्पित कर देने का अद्वितीय व्यक्तित्व !  यूं तो हमारा देश पुरातन काल से ही ॠषियों, मुनियों, मनीषियों, समाज सुधारकों व महापुरुषों का जनक रहा है जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। किंतु आधुनिक युग की बदलती हुई परिस्थितियों में ऐसे महापुरुष बिरले ही हैं। 11अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से ग्राम कडोली में जन्मे चंडिका दास अमृतराव देशमुख ने अपने बाल्यावस्था में शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह अपने जीवन काल में किये गये सेवा, संस्कार व शिक्षा के प्रसार के माध्यम से 50,000 से अधिक विद्यालयों की स्थापना, 500 से अधिक ग्रामों का विकास, भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, दीनदयाल शोध संस्थान, राष्ट्र, धर्म, पांचजन्य व ‘दैनिक स्वदेश’ का संपादन/प्रबंधन के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम पूरे विश्व में फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेगा। भारत सरकार उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित कर राज्यसभा के लिए स्वतः मनोनीत करेगी यह तो सोचा ही कैसे जा सकता था।
अपने 94 वर्षों की लंबी निष्काम सेवा ने उनका असली नाम चंडिका दास अमृतराव देशमुख से नानाजी देशमुख रख दिया। निर्धनता के कारण सब्जी बेच किताबें जुटाकर पढ़ने वाले नानाजी देशमुख लोकमान्य तिलक के विचारों से बहुत प्रभावित थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हैडगेवार की राष्ट्र निष्ठा ने उन्हें संघ से जोड़ा। 1940 में उन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित कर आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया तथा आगरा से संघ प्रचारक के रूप में अपना समाज जीवन आरंभ किया। विषम आर्थिक परिस्थितियों व राजनैतिक विरोधों के बावजूद उन्होंने मात्र 3 वर्षों में गोरखपुर के आसपास 250 से अधिक संघ शाखाएं प्रारम्भ करवायीं। शिक्षा की दुर्दशा को देखते हुए 1950 में गोरखपुर में ही उन्होंने पहला सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय खुलवाया। संस्कारवान व राष्ट्रनिष्ठ नागरिक बनाने वाले ऐसे 50000 से अधिक विद्यालय आज देश के कोने- कोने में चल रहे हैं। ‘राष्ट्रधर्म’, ‘पांचजन्य’ व ‘दैनिक स्वदेश’ जैसे विख्यात प्रकाशन नानाजी के मार्गदर्शन की ही देन हैं।
1951 में जनसंघ की स्थापना के बाद नानाजी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश संगठन मंत्री बनाया गया जिन्होंने 1957 तक प्रदेश के सभी जिलों में जनसंघ का अलख जगाया। उत्तर प्रदेश की 412 सदस्यों वाली विधानसभा में जनसंघ के 99 विधायक चुनवाकर काँग्रेस की चूलें हिला दीं थी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के पश्चात् पंडित दीन दयाल उपाध्याय को जनसंघ का अखिल भारतीय महामंत्री तथा नानाजी को अखिल भारतीय संगठन मंत्री बनाया गया। जहां एक ओर श्री विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया तो वहीं दूसरी ओर श्री जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के दौरान पटना में अपने ऊपर लाठियां खाकर श्री जयप्रकाश नारायण को बचाया। आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी के उपरांत वे प्रथम सत्याग्रही बने और देश भर के कार्यकर्ताओं का नेतृत्व करते रहे। 1977 में आपात काल समाप्ति पर देशभर की सरकारों में जनसंघ सहयोगी रहा तथा नानाजी को केंद्र में उद्योग मंत्री का प्रस्ताव भेजा जिसे नानाजी ने सविनय ठुकरा दिया। 60 वर्ष की आयु में राजनीति छोड़ उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद में ग्राम विकास में जुटकर वे महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के दर्शन को अमली जामा पहनाने वाले महामनीषी बने। प्रचार से दूर रहने वाले निष्काम कर्मयोगी द्वारा केवल गांवों की दशा सुधार का उन्हें अपने बलबूते पर खड़कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो कार्यक्रम प्रारंभ किये गये उन्होंने भारतीय जनमानस पर अमिट छाप छोड़ दी। 2005 में प्रारंभ किये गये चित्रकूट ग्रामोदय प्रकल्प ने चित्रकूट के आसपास 500 से अधिक ग्रामों को स्वाबलंबी बना दिया तथा देश को पहला ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रदान किया। वे ग्राम विकास के सच्चे पुरोधा थे। सफल ग्रामोत्थान के इन्ही प्रयोगों के लिए उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से विभूषित कर राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किया गया। दीनदयाल शोध संस्थान नानाजी की कल्पना का ही एक साकार रूप है।
लगभग एक शतक लंबी राष्ट्र को समर्पित आयु के अंतिम पड़ाव से पूर्व ही उन्होंने तय कर लिया था कि जब तक जीवित हैं तब तक स्वयं तथा मृत्यु के बाद उनकी देह राष्ट्र के काम आये। दिल्ली की दधीचि देहदान समिति को अपने देहदान संबंधी शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए नाना जी ने कहा था कि मैंने जीवन भर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में होने वाली दैनिक प्रार्थना में बोला है -’पतत्वेष कायो, नमस्ते-नमस्ते’ अर्थात् हे भारत माता मैं अपनी यह काया हंसते हंसते तेरे ऊपर अर्पण कर दूं। अतः मृत्योपरांत उन्होंने न सिर्फ अपना देह दान कर चिकित्सा-शास्त्र पढ़ने वाले युवकों के अध्यापन हेतु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को समर्पित करने का संकल्प किया बल्कि दस हजार रुपये की अग्रिम राशि भी समिति को दी जिससे देश के किसी भी भाग से उनका शांत शरीर इस कार्य हेतु उचित स्थान पर लाया जा सके।
ऐसे राष्ट्र पुरुष व महामनीषी को हम सब का शत् शत् नमन् !
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था,आजभी इसमें वह गुण,योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
चन्दन तरुषु भुजन्गा
जलेषु कमलानि तत्र च ग्राहाः
गुणघातिनश्च भोगे
खला न च सुखान्य विघ्नानि
Meaning:
We always find snakes and vipers on the trunks of sandal wood trees, we also find crocodiles in the same pond which contains beautiful lotuses. So it is not easy for the good people to lead a happy life without any interference of barriers called sorrows and dangers. So enjoy life as you get it.
Courtesy: रामकृष्ण प्रभा (धूप-छाँव)
विश्व गुरु भारत की पुकार:-
विश्व गुरु भारत विश्व कल्याण हेतु नेतृत्व करने में सक्षम हो ?
इसके लिए विश्व गुरु की सर्वांगीण शक्तियां जागृत हों ! इस निमित्त आवश्यक है अंतरताने के नकारात्मक उपयोग से बड़ते अंधकार का शमन हो, जिस से समाज की सात्विक शक्तियां उभारें तथा विश्व गुरु प्रकट हो! जब मीडिया के सभी क्षेत्रों में अनैतिकता, अपराध, अज्ञानता व भ्रम का अन्धकार फ़ैलाने व उसकी समर्थक / बिकाऊ प्रवृति ने उसे व उससे प्रभावित समूह को अपने ध्येय से भटका दिया है! दूसरी ओर सात्विक शक्तियां लुप्त /सुप्त /बिखरी हुई हैं, जिन्हें प्रकट व एकत्रित कर एक महाशक्ति का उदय हो जाये तो असुरों का मर्दन हो सकता है! यदि जगत जननी, राष्ट्र जननी व माता के सपूत खड़े हो जाएँ, तो यह असंभव भी नहीं है,कठिन भले हो! इसी विश्वास पर, नवरात्रों की प्रेरणा से आइये हम सभी इसे अपना ध्येय बनायें और जुट जाएँ ! तो सत्य की विजय अवश्यम्भावी है! श्रेष्ठ जनों / ब्लाग को उत्तम मंच सुलभ करने का एक प्रयास है जो आपके सहयोग से ही सार्थक /सफल होगा !
अंतरताने का सदुपयोग करते युगदर्पण समूह की ब्लाग श्रृंखला के 25 विविध ब्लाग विशेष सूत्र एवम ध्येय लेकर blogspot.com पर बनाये गए हैं! साथ ही जो श्रेष्ठ ब्लाग चल रहे हैं उन्हें सर्वश्रेष्ठ मंच देने हेतु एक उत्तम संकलक /aggregator है deshkimitti.feedcluster.com ! इनके ध्येयसूत्र / सार व मूलमंत्र से आपको अवगत कराया जा सके; इस निमित्त आपको इनका परिचय देने के क्रम का शुभारंभ (भाग--1) युवादर्पण से किया था,अब (भाग 2,व 3) जीवन मेला व् सत्य दर्पण से परिचय करते हैं: -
2)जीवनमेला:--कहीं रेला कहीं ठेला, संघर्ष और झमेला कभी रेल सा दौड़ता है यह जीवन.कहीं ठेलना पड़ता. रंग कुछ भी हो हंसते या रोते हुए जैसे भी जियो,फिर भी यह जीवन है.सप्तरंगी जीवन के विविध रंग,उतार चढाव, नीतिओं विसंगतियों के साथ दार्शनिकता व यथार्थ जीवन संघर्ष के आनंद का मेला है- जीवन मेला दर्पण.तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,09911145678,09540007993.
3)सत्यदर्पण:- कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?
-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए! जो उनके राज में न हो सका पूरा,मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करेंगे उसके साले! विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है.देश को लूटा जा रहा है.! भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो साधू/अब नारी वेश में फिर आया रावण.दिन के प्रकाश में सबके सामने सफेद झूठ;और अंधकार में लुप्त सच्च की खोज में साक्षात्कार व सामूहिक महाचर्चा से प्रयास - तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,9911145678,09540007993.

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

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